कोरोना मरीजों को ठीक करने में कितनी मददगार है प्लाज्मा थेरेपी, ये थेरेपी कैसे करती है काम?

कोरोना मरीजों को ठीक करने में कितनी मददगार है प्लाज्मा थेरेपी, ये थेरेपी कैसे करती है काम?

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस से पूरे भारत में हाहाकार मचा हुआ है। रोज संक्रमित होने वालों की संख्या में रिकार्ड तोड़ बढ़ोत्तरी हो रही है। कई लोग संसाधनों की कमी से भी दम तोड़ रहे हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर और बेड ना मिल पाने की वजह से लोग तड़प-तड़प कर अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसे में जितना हो सके एक दूसरे की लोग मदद करें। ये समय काफी खतरनाक है। लेकिन हौसला रखिए ये मंजर भी बीत जाएगा। 

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आपको बता दें कि कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए प्लाजमा काफी प्रभावी माना जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि आप हाल-फिलहाल में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हैं तो आप प्लाजमा दान करके दूसरे लोगों की जान बचा सकते हैं। पर यह प्लाज्मा थेरेपी है क्या और यह कोविड संक्रमितों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकती है, इस लेख में हम इसी बारे में चर्चा करेंगे।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी (What is Plasma Therapy in Hindi):

आपको बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें संक्रमण से उबरने वाले व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा को लेकर रोगी में इंजेक्ट किया जाता है। संक्रमण से उबरने वाले व्यक्ति के रक्त में मौजूद प्लाज्मा में एंटीबॉडी होते हैं जो रोगी को उस वायरस से मुकाबले में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया से रोगी तेजी से संक्रमण से ठीक हो सकता है। इसके अलावा प्लाज्मा डोनर को इस डोनेशन से कोई दिक्कत भी नहीं होती है।

कौन कर सकता है प्लाज्मा डोनेट (Who Can Plasma Therapy in Hindi):

एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों के मन में इससे संबंधित तरह-तरह के भ्रम हैं। इसका जवाब यह है कि जो मरीज कोविड संक्रमण से स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं उनके अंदर एक ऐसी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है जो कोरोना वायरस के लिए ढाल के रूप में काम करती है। ऐसे व्यक्ति दूसरे लोगों की जान बचा सकते हैं। ठीक होने के 14 दिन बाद और अधिकतम 4 महीने तक कई बार आप प्लाज्मा दान कर सकते हैं।

किन बातों का रखना होता है ध्यान (Do and Dons for Donating a Plasma to Covid Patients in Hindi):

प्लाज्मा डोनेशन के लिए खाली पेट न जाए। ध्यान रहे, डोनेशन के 48 घंटे पहले तक शराब का सेवन नहीं किया होना चाहिए। इसके अलावा उस व्यक्ति की कोई एंटीबायोटिक दवाएं नहीं चल रही होनी चाहिए। प्लाज्मा डोनेट करने के दो हफ्ते बाद फिर से आप डोनेट कर सकते हैं लेकिन इसके लिए दोबारा से पूरी जांच की जाती है।

क्या डोनेशन के बाद डोनर को कोई दिक्कत होती है?

डोनेशन के बाद कोई कमजोरी नहीं आती है। डोनेशन के बाद डोनर को, ब्लड बैंक कुछ समय के लिए अपनी निगरानी में रखता है। इसके अलावा व्यक्ति को शुरुआती 3 से 4 घंटे तक कोई भारी सामान न उठाने और अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। डायबिटिक रोगी, जो इंसुलिन ले रहे हैं वह प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। इसके अलवा जिन लोगों को पहले से कोई क्रोनिक बीमारी है वो लोग भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं।

प्लाज्मा डोनेशन से पहले इन बातों को जान लें

अगर आप प्लाज्मा डोनेट करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  • डोनेशन के लिए आपके पास 3 महीने के भीतर की कोविड निगेटिव रिपोर्ट (RT PCR परीक्षण) होना आवश्यक है।
  • यदि आप एसिम्टोमैटिक थे, तो कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आने के 14 दिनों के बाद ही डोनेशन करें।
  • वहीं यदि आपमें कोरोना के लक्षण थे तो इसके ठीक हो जाने के 14 दिनों के बाद आप डोनेशन कर सकते हैं।
  • जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है वह टीकाकरण की तारीख से 28 दिनों के दिनों के बाद ही डोनेशन कर सकते हैं।

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